क्या मृत्यु समय का मृत्युपूर्व पूर्वाभास होता है ?

Gyan Darpan
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कई बार कई बुजुर्ग व्यक्ति अपनी मृत्यु से सम्बंधित ऐसी बाते कहते है जिससे लगता है कि उन्हें अपनी मृत्यु के समय का पूर्वाभास हो गया है लेकिन उनकी बातों पर ये समझकर कि बुढापे की बिमारियों या सठिया जाने की वजह से ये ऐसा कह रहे है उनकी बाते परिजन अनसुनी कर देते है लेकिन जब उस व्यक्ति की मौत होती है और उसके द्वारा कही गयी बाते सत्य निकलती है तब चर्चा चलती है कि फलां व्यक्ति को अपनी मौत का पूर्वाभास हो गया था लेकिन इस बात पर परिजनों के अलावा जो व्यक्ति वहां मौजूद होते है वे तो सच मानते है लेकिन सुनने वाले इस बात को अपने परिजन को महिमा मंडित करने की चाल बताकर खारिज कर देते है | इसी तरह की एक घटना का जिक्र मै यहाँ कर रहा हूँ जो कभी कभी मुझे सोचने पर मजबूर कर देती है कि कुछ लोगो को क्या मृत्यु के समय का पूर्वाभास हो जाता है ?
७ जून २००० को सायं ८ बजे मै अपने एक मित्र दातार सिंह जी के साथ बैठा था और चर्चा चल रही थी उनके वृद्ध पिताजी के स्वास्थ्य की | उनके पिताजी बीमार थे दातार जी दो तीन दिन पहले ही उन्हें संभालकर गांव से आये थे और बता रहे थे कि गांव से पिताजी की मृत्यु का समाचार कभी भी आ सकता है इतने में ही उनके मोबाइल की घंटी बज उठी फोन उनके गांव से ही था फोन करने वाला उनका परिजन बता रहा था कि आपके पिताजी का आज रात निकलना भी मुश्किल लग रहा है वे आज दिन भर एक बात कर रहे है मुझे अगले मुकाम जाना है इसलिए मेरे पुत्र को बुला दीजिए ताकि मै उससे मिलकर बेफिक्र होकर जा सकूँ | इसलिए आप अभी बस पकड़ कर गांव के लिए रवाना हो जाईये |
समाचार मिलते ही मैंने दातार जी को बदरपुर बॉर्डर तक ले जाकर धोला कुवां के लिए ऑटो रिक्शा पकडवा दिया ताकि वे वहां से लाडनू के पास हुडास नामक अपने गांव जाने वाली रात्री बस पकड़ कर घर पहुँच सके | दुसरे दिन उनके घर पहुँचते ही उनके स्व.पिताजी श्री नारायण सिंह जी ने एक एक कर सभी ग्रामवासियों को बुलाना शुरू कर दिया ताकि वे उनसे अपने जीवन की आखिरी मुलाकात कर सके | मिलने आने वाले लोगो में बहुत सारे लोग वही रुक गए वैसे भी गांव में जब कोई बीमार होता है तो उसके पास गांव वासियों का जमघट लग जाता है पता नहीं कब किसकी कैसे जरुरत पड़ जाए इसलिए लोग वही रुक जाते है | नारायण सिंह जी रुके लोगों से बाते करते रहे और कहते रहे कि आज उन्हें अगले मुकाम जाना ही है थोडी धुप कम हो जाये तब जाऊँगा इसलिए किसी को कोई काम है वो कर आओ तीन बजे तक जरुर वापस आ जाना | आखिर तीन भी बज गए तीन बजते ही उन्होंने अपने सभी भाइयों व प्रतिष्ठित गांव वासियों को अपने पास बुला लिया और उन्हें कहने लगे - ये मेरा पुत्र दातार अब अकेला रह जायेगा इसलिए मुझे वचन दो हमेशा इसका साथ निभावोगे | मेरी आपसे यही विनती है आप इसका हर सुख दुःख में साथ दे | भाईयों व ग्रामीणों द्वारा उनके पुत्र को साथ देने का वायदा करने के बाद संतुष्ट हो नारायण सिंह जी ने अपनी कमीज पहनी , जेब में चेक किया कि कितने पैसे है उनमे से कुछ यह कहकर रख लिए कि शायद रास्ते में कही इनकी जरुरत पड़ जाये बाकी पैसे उन्होंने वहां उपस्थित छोटे बच्चो में बाँट दिए और यह कहकर उठने लगे कि अब समय हो गया है इजाजत दीजिए ताकि में अगले मुकाम की अपनी यात्रा शुरू कर सकूँ और ऐसा कह कर उठते समय वे पूरा उठ ही नहीं पाए कि उनके प्राण पखेरू उसी वक्त उड़ गए |

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27टिप्पणियाँ

  1. मुझे तो लगता है कि निश्चित रूप से होता है .....

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    1. आत्मा है सच्चे और निर्भीक पुरुष को साक्षात बता देती है.अपना कार्य संपन्न करो.अब आपको अगले मुकाम पर जाना है
      ऐसे महापुरुष को शत शत नमन.

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  2. पत्रकार श्री प्रभाष जोशी ( अब स्वर्गीय ) चाहते थे की सचिन को शतक लगाते देखकर ही वे जाएँ ... कल रात्रि के खेल ( भारत - आस्ट्रेलिया ) को देखते हुए में उनको दिल का दौरा पड़ा और वे चले गए..... कई सप्ताह से जाने की लिख रहे थे परसों तो लखनऊ थे... अब तो बस कागद ही रह गए ..

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  3. पता नहीं ...ये विश्वास है या अंधविश्वास ...मेरे पिता ने भी अपनी असामयिक मृत्यु से पहले कहा था ...ये तीन दिन निकल जाए बस ..दो दिन निकल गए..तीसरी रात नहीं निकल पाई ..!!

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  4. जो आप ने लिखा ......वो १००% सत्य है.......आभास तो सभी को होता है.......शायद ये सूवाभिक मृत्यु में ही आभास होता है.
    अकाल मृत्यु में नहीं......

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  5. ऐसा संभव है..बहुत से लोगों को ऐसा पूर्वाभास हो जाता है।सामान्यत: देखने में आया है कि ऐसे लोग धर्म-कर्म मे अधिक विश्वास रखने वाले होते हैं..यह अधिकतर ऐसे लोगो को ही मृत्यु का पूर्वाभास होते देखा गया है।मेरे पिता ने भी इसी तरह अपनी मृत्यु का समय बहुत पहले ही बता दिया था।

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  6. जी हाँ!
    अधिकांश को तो आभास हो ही जाता है कि
    अब अन्त समय निकट है।

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  7. हां यह सच हो सकता है. शायद अंतिम समय मे चेतना समग्र रुप से एकत्रित हो जाती है और मनुष्य को अतिंद्रिय अनुभव होने शुरु हो जाते हैं. और इसी वजह से उसका मत्यु का भय भी निकल जाता है एवम वो सब कुछ साफ़ साफ़ माह्सूस कर पाता है.

    रामराम.

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  8. सभी बुजुर्ग चिट्ठाकारो ने जो मत यहाँ व्यक्त किया, उससे सहमत ! अहसास हो जाता है और यही नहीं बहुतो ने तो उस समय तक इन्तजार भी किया जब तक उनका वह प्रिय जिसे मरते बक्त उन्होंने बुलाया था उन तक नहीं पहुंचा ! जैसे ही वह पहुंचा उन्होंने तुंरत प्राण त्याग दिए, अपने ही कुटुंब की बात बता रहा हूँ !

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  9. सही है कुछ sanket तो शुरू हो जाता है अपने आस पास ऐसा वाकया देखा है

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  10. Some people do not listen otherwise every body gets intuition of death

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  11. बहुत सही लिखा आपने...ऐसा आभास होता है!मैंने तो खुद ऐसे ही एक प्रकरण को देखा भी है..होते हुए...!

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  12. कुछ तो है जिसका स्पष्टीकरण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परे है

    हैपी ब्लॉगिंग

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  13. आपकी पोस्ट से लगा आपमें जानने के लिए जिज्ञासा है
    इसलिए टिप्पणी कर रही हूँ ..
    जब इन्सान बीमार होता है अक्सर उसके मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन के कारन अजीब से विचार उत्पन्न होते हैं, जिनकी परिणिति ऐसे विचारों पर होती है जिनका सम्बन्ध उसके समाज में व्याप्त धर्मिक/आध्यात्मिक परिवेश में वर्णित जीवन/मृत्यु के अनुभवों से होता है . मनुष्य उनसे खुद को जोड़ते हुए अपनी सहजता के अनुसार व्याख्याएँ करता है जिनमे से कई अंदेशे सच हो जाते हैं, और मनुष्य रहस्यप्रियता से प्रेम और दिवंगत के प्रति श्रधा के कारन इन्हें महिमामंडित करता रहता है.ऐसे ही इन घटनावों का अस्तित्व कायम है .. चलते -चलते मेरी नानी जब भी बीमार होती है कहती है उन्हें यमराज लेने आये थे ..और ठीक होने पर कहती है अभी यमराज ने कहा की उनका समय पूरा नही हुआ है.आगे आपका मस्तिष्क इन दिशा में अपना कार्य बेहतर कर लेगा .. इति
    ...और कोई जिज्ञासा हो तो मेल से संपर्क करें.

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  14. प्रिमॉनीशन्स तो होते हैं। केवल मृत्यु विषयक नहीं, अन्य प्रकार के भी होते हैं। सामान्यत: हम अपने एण्टीना बन्द रखते हैं, सो पता नहीं चलते।

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  15. कई बातें जो मानव मन-बुद्धि से परे हैं, गप्प होंगी ऐसा ज़रूरी तो नहीं..

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  16. कुछ बातें तो अवश्‍य ऐसी है .. जिसका हम अभी तक साफ विश्‍लेषण नहीं कर सकते .. विवाद रह ही जाएगा !!

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  17. mere pita ji ko bhi apani mrityu ka ehsaas tha aur unhone mujhe bulaya tha, mere aane ke baad wah behosh hue aur kuch samay baad unake pran nikal gaye. agar mai wahan nahi hota to pariwar ke liye badi mushkil hoti.

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  18. मेडम को ये आभास कब होगा. काश हो जाये तो देश की लुट बंद हो जाये

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  19. जहां तक मेरा विचार है तो ऐसा आभास होता है ....

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  20. My Father P. Rajput Was with me in USA at the time of his Last Journey Of His Karma. I never seen a person who is leaving the world whose Face is so Bright. My Mom has to take care of few things in India But she called and said Her plan is late and she will be four hours late. I told my Father first he said " Ohoho, I have to go " I asked my dad' Where are you going" He stayed Quite . He dint ans. Then the day Mom was arriving He went in to Coma, One Person of the Family Went with the ambulance with my Dad and Other person made the turn to pick up my Mom. By the Time MOM Came , Dad Bow his head , Fold his hand and wen to merge with Divine Soul . Since Then I promised my self I want to leave the world like My father did. I was very Lucky to have him as my dad" Kamlesh Chuahan(Gauri)

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  21. mere dada ji jo ek jyotishi bhi the..unhone hame ek mahine pahale bata diya tha ki wo 22 april 2011 ko jayenge..aur theek esa hi hua.mujhe yakeen hai esa shat pratishat hota hai ..kyonki 22 april ko unhone poore pariwar ko subah hi bula liya tha..aur sabse milke gaye hai

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  22. शायद कुछ हद तक आभास हो जाता है|

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  23. पराविज्ञान के अनुसार मृत्यु से पहले ही कुछ संकेतकों की सहायता से व्यक्ति पहले ही यह जान सकता है कि उसकी मृत्यु होने वाली है। परवैज्ञानिकों की मानें तो सामान्यत: यह संकेत मृत्यु से नौ महीने पहले ही मिलने शुरू हो जाते हैं।

    अगर कोई व्यक्ति अपनी मां के गर्भ में दस महीने तक रहा है तो यह समय दस महीने हो सकता है और वैसे ही सात महीने रहने वाले व्यक्ति को सात महीने पहले ही संकेत मिलने लगते हैं।

    ध्यान रहे कि मृत्यु के पूर्वाभास से जुड़े लक्षणों को किसी भी लैब टेस्ट या क्लिनिकल परीक्षण से सिद्ध नहीं किया जा सकता बल्कि ये लक्षण केवल उस व्यक्ति को महसूस होते हैं जिसकी मृत्यु होने वाली होती है।

    मृत्यु के पूर्वाभास से जुड़े निम्नलिखित संकेत व्यक्ति को अपना अंत समय नजदीक होने का आभास करवाते हैं:

    समय बीतने के साथ अगर कोई व्यक्ति अपनी नाक की नोक देखने में असमर्थ हो जाता है तो इसका अर्थ यही है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है. क्‍योंकि उसकी आँखें धीरे-धीरे ऊपर की ओर मुड़ने लगती हैं और मृत्‍यु के समय आँखें पूरी तरह ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।

    मृत्यु से कुछ समय पहले व्यक्ति को आसमान में मौजूद चाँद खंडित लगने लगता है। व्यक्ति को लगता है कि चांद बीच में से दो भागों में बंटा हुआ है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता।

    सामान्य तौर पर व्यक्ति जब आप अपने कान पर हाथ रखते हैं तो उन्हें कुछ आवाज सुनाई देती है लेकिन जिस व्यक्ति का अंत समय निकट होता है उसे किसी भी प्रकार की आवाजें सुनाई देनी बंद हो जाती हैं।

    व्यक्ति को हर समय ऐसा लगता है कि उसके सामने कोई अनजाना चेहरा बैठा है।

    मृत्यु का समय नजदीक आने पर व्यक्ति की परछाई उसका साथ छोड़ जाती है।

    जीवन का सफर पूरा होने पर व्यक्ति को अपने मृत पूर्वजों के साथ रहने का अहसास होता है।

    किसी साये का हर समय साथ रहने जैसा आभास व्यक्ति को अपनी मृत्यु के दो-तीन पहले ही होने लगता है।

    मृत्यु से पहले मानव शरीर में से अजीब सी गंध आने लगती है, जिसे मृत्यु गंध का नाम दिया जाता है।

    दर्पण में व्यक्ति को अपना चेहरा ना दिख कर किसी और का चेहरा दिखाई देने लगे तो स्पष्ट तौर पर मृत्यु 24 घंटे के भीतर हो जाती है।

    नासिका के स्वर अव्यस्थित हो जाने का लक्षण अमूमन मृत्यु के 2-3 दिनों पूर्व प्रकट होता है।

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