हिंदी उपन्यास "सात समन्दर पार" : समीक्षा

Gyan Darpan
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चंडीगढ़ के यूनिस्टार पब्लिकेशन ने "सात समन्दर पार " हिंदी उपन्यास प्रकाशित किया है जिसे लिखा है अमेरिका में रहने वाली भारतीय महिला कमलेश चौहान ने | कमलेश चौहान पंजाब साहित्य सभा द्वारा प्रेस्टीयस एन आर आई एकेडमी अवार्ड जनवरी २००९ से भी सम्मानित है |
उपन्यास अमेरिका में रहने वाले एक एनआरआई से शादी करने वाली महिला के जीवन की सच्ची घटना पर आधारित है | इस उपन्यास की मुख्य किरदार सुन्दरी नामक एक महिला है | साधारण परिवार में जन्मी सुन्दरी स्वतंत्र विचारों वाली ,बहादुर,चतुर ,वाक्पटु और सुन्दर महिला है | अपनी दो बहनों की शादी के खर्च के वित्तीय बोझ से दबे परिवार पर सुंदरी कभी बोझ नहीं बनना चाहती इसीलिए वह अपनी शादी की बजाए अपनी पढाई को प्राथमिकता देती है साथ ही गलत सामाजिक अवधारणाओं के खिलाफ आवाज उठाती है | सुन्दरी आकाश नाम के एक लड़के जिसे वह अपने सपनो का राजकुमार समझती है से बेइन्तहा प्यार करती है लेकिन उसके इस प्यार के रिश्ते को उसके घर वाले कभी स्वीकार नहीं करते और उसकी शादी एक एन आर आई से कर दी जाती है | अपने परिवार की आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों के चलते सुन्दरी उस एनआरआई से शादी कर लेती है और इस तरह शुरू होती है सुन्दरी की सात समंदर पार यात्रा |
सुन्दरी एक पढ़ी लिखी महिला होने के बावजूद उसे महसूस कराया जाता है कि वह विदेशी वातावरण के लायक नहीं है उसका पति उसे अहसास करता है कि वह सामाजिक तौर पर उसकी बराबरी की नहीं है और वह उसकी भावनात्मक व वास्तविक इच्छाएँ कभी पूरी नहीं करता | वह हमेशा अपनी नौकरानी की तरह आज्ञाओं का पालन करवाना चाहता है लेकिन सुन्दरी इन सबके खिलाफ आवाज उठाती है और अपना एक अलग अपने खुद के उसूलों वाला व्यक्तित्व तैयार करती है | वह विदेशी कानून की मदद से तलाक़ लेकर खुद को अपने पति से अलग कर लेती है और समाज में अपनी पहचान बनाने का संघर्ष शुरू करती है इसी संघर्ष को इस पुस्तक में उकेरा गया है | इसके अलावा इस पुस्तक में भावनात्मक विषयों को छुआ गया है | जो भारतीय महिलाऐं शादी करके पश्चिमी देशो में पंहुच हिंसा, भावनात्मक व शारीरिक शोषण का शिकार बनती है उनके अनगिनत किस्से इस पुस्तक में संजोये गए है | और शोषण का शिकार बनी महिलाओं को उपन्यास के माध्यम से उनके अधिकारों से परिचित कराना व उनकी शक्ति को बढ़ाना है |
उपन्यास में एक नारी के अरमानो व भावनाओं कोप गंभीरता से दर्शाने का प्रयत्न किया गया है | उपन्यास की किरदार सुन्दरी अपने प्यार से वंचित हो एक प्रेमरहित विवाह करती है ताकि वह अपने परिवार की वित्तीय सहायता व सामजिक प्रतिष्ठा बना सके लेकिन लेकिन इन प्रेमरहित बांहों के दलदल से निकलने के लिए वह जो संघर्ष कर एक ऐसी नारी बनती है जो समाज में अपना एक अलग निशान छोड़ती है |

कमलेश चौहान एनआरआई से शादी करने के चक्कर में ठगी गयी भारतीय महिलाओं पर एक और उपन्यास लिख रही है " धोखा सात फेरों का "
कमलेश चौहान के इस उपन्यास को यहाँ चटका लगाकर उनकी वेबसाइट से ख़रीदा जा सकता है |;;

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15टिप्पणियाँ

  1. बहुत धन्यवाद इस किताब के बारे में बताने के लिये.

    रामराम.

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  2. वैसे यह भी सच है कि पश्चिमी देशो में इस तरह की भारतीय कहानिया हकीकत की जिन्दगी में भरी पडी है !जानकारी के लिए शुक्रिया शेखावत जी !

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  3. सुन्दर समीक्षा. शादी के नाम पर विदेशों में बसे हमारे ही लोगों की काली करतूतें कई बार पढने को मिलती हैं.

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  4. अच्छी जानकारी के लिए राम-राम,
    रतन सिंग जी आपने जो पिछ्ली पोस्ट मे बताया था कि वो "माइक्रोसोफ्ट का you may victim of software वाला" मेरे मे भी आ गया है, मैने वो सिस्ट्म32 मे जाकर फ़ाईल ढुंढी पर नही मिली,
    कृप्या मार्ग दर्शन करे। चैट पर आ जायें जी मेल मे जब भी आपको समय मिले, मै आज दिन भर ओन लाईन ही हुँ।

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  5. धन्यवाद इस किताब के बारे में बताने के लिये

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  6. समीक्षा के हिसाब से उपन्यास अच्छा होना चाहिए और रोचक भी।

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  7. बहुत ही निष्पक्ष और बढ़िया ढंग से समीक्षा प्रस्तुत की है आपने।
    बधाई।

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  8. ललित जी आपको ये दोनों फाइल्स system32 फोल्डर में ही मिलेगी यदि नहीं मिलती है तो फिर बताना कभी शाम के समय हम यहाँ से ही नेट द्वारा इस फाइल्स को आपके कंप्यूटर से हटा देंगे | आज में जयपुर जा रहा हूँ आकर आपको मेल करूँगा |

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  9. धन्यवाद पुस्तक के बारे में बताने को। यह जरूर है कि पुस्तक के लिये २० डालर दे पाना कठिन है!

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  10. कमलेश चौहान यह आईने का एक तरफ़ का हिस्सा है, किताबी केसी है मुझे इस से कोई वास्ता नही, लेकिन भारत से बहुत से लोग इन्ही की तरह पहले वीजे के लिये, अपनी आर्थिक मजबुरी के कारण यहा एन आर आई से शादी कर लेते है, फ़िर सेट हो कर , अपना मतलब पुरा होने पर उन पर गलत केस ठोक कर तालाक ले लेते है, अगर इतनी ही सम्मान जनक थी यह तो अपना पास पोर्ट उस पहले पति से मुह पर मारती ओर वापिस भारत आ कर रहती...
    यहां ऎसे बहुत से केस मिलते है, ओर विदेशो मे रहने वाले ओर यहां जन्मे बच्चे सच्चे ओर सीधे साधे होते है, वो जेसा बाहर से दिखते है वेसे ही अंदर भी होते है,क्योकि उन्हे हेरा फ़ेरी की जरुरत ही नही पडती... ओर ऎसे बहुत से लोग यहां सेट हो कर अपनी चलाकी से तलाक ले कर इन बच्चो को बदनाम तो कर देते है.... लेकिन एक दिन इन्हे अपनी करनी का फ़ल जरुर मिलता है.

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  11. भाटिया जी जो बाते आपने लिखी है वाही सब कुछ कमलेश चौहान भी पुस्तक के माध्यम से बताना चाहती है |
    इस पुस्तक के बारे में विस्तार से जानकारी के लिए इसका अंग्रेजी रिव्यू यहाँ लिखा है
    http://www.flipkart.com/saat-samunder-paar-kamlesh-chauhan/8171426840-xv23f9t8u4#readreview

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  12. ये भी ज्ञान दर्पण पर.. बहुत खुब.. बधाई

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