ऋषि पराशर की तपोभूमि : फरीदाबाद

Gyan Darpan
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फरीदाबाद की अरावली पर्वत श्रंखला में स्थित प्रसिद्ध बड़खल झील के प्रवेश द्वार के पास ही उतर दिशा की और जाने वाली सड़क पर कुछ दूर जाते ही परसोन मंदिर का बोर्ड दिखाई देता है इस बोर्ड के पास से एक उबड़ खाबड़ पहाड़ी रास्ते से लगभग १.५ की.मी. की दुरी पार करते ही पहाडियों पर झाडियों के बीच से एक गेट व छोटासा मंदिर और कुछ भवन दिखाई देते है इसी गेट में आगे बढ़ने पर पहाड़ी के दर्रे में नीचे उतरती कुछ सीढियाँ नजर आती है |

चारों और सुनसान और कंटीली झाडियों से लदी पहाड़ी के बीच १०१ सीढियाँ नीचे उतरते ही दो तरफ पहाडों से घिरा खजूर ,गूगल ,पीपल शीशम ,अमलतास और विविध श्रेणी के पेड़ पौधों की हरियाली व बीच में बहती जल धारा ,शांत वातावरण और प्रकृति माँ की सुरम्य छटा लिए एक दर्रा आगन्तुक का स्वागत करता है | इसी दर्रे को ऋषि पराशर की तपोभूमि होने का गौरव हासिल है | और इसी करण इस जगह को परसोन मंदिर के नाम से जाना जाता है | ऋषि पराशर के अलावा भी यहाँ प्रचीन समय से कई ऋषि मुनियाँ ने तपस्या की है | इस दर्रे की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है दोनों और की पहाड़ी की तलहटी में कुछ छोटे बड़े मंदिर बने है वहीँ कुछ परिवारों ने अपने पितरो की छत्रियां भी बनवाइ हुई है |

दर्रे के बीचो बीच एक निर्मल जलधारा बह रही है जिस पर जगह जगह कुछ पानी के गहरे कुण्ड बने है इन्ही कुंडों में से एक कुण्ड जो आखिरी है में नहाने के लिए पक्का घाट बना है जहाँ वहां आने वाले श्रधालुओं के अलावा वहां रहने वाले साधू संत स्नान करते है | 

यहाँ बने मंदिरों में मुख्य परसोन मंदिर है जिसमे दो बड़े बरामदे बने हुए है एक बरामदे में ऋषि पराशर की मूर्ति लगी है तो दुसरे बरामदे में हवन कुण्ड बना है मंदिर में अक्सर भंडारे का आयोजन होता रहता है | इस मंदिर की देखरेख व पूजा अर्चना का जिम्मा स्वामी नारायण गिरी जी ने संभाल रखा है |दर्रे के बीचो बीच बहने वाली जलधारा के पानी की महिमा बताते हुए स्वामी नारायण गिरी जी इसकी तुलना गंगाजल से कर इसे खनिज व जडी बूटियों से उपचारित जल बताकर इसे रोगनाशक बताते है | स्वामी जी के अनुसार वहां आने वाले डा.फाल्के ने भी कुण्ड का पानी लेब में टेस्ट कराने के बाद इस जल का रोगनाशक होने की पुष्टि की है |
प्रकृति माँ द्वारा प्रदत इस सुरम्य व ऋषि मुनियों की तपस्थली इस जगह के बारे में अभी तक फरीदाबाद के भी बहुत कम लोगो को जानकारी है | इसीलिए मेरी इस रविवारीय यात्रा में मुझे यहाँ जो भी मिला वह पहली बार ही यहाँ पहुंचा था | और माँ प्रकृति की गोद में बसी इस शांत व सुरम्य जगह को देख विस्मित था |


परसोन मंदिर के स्वामी जी कहते है -पहले यहाँ आने का रास्ता बहुत विकट था तब गिने चुने लोग ही यहाँ पहुँच पाते थे लेकिन जब से बड़खल झील से यहाँ तक रास्ता कुछ ठीक बन गया है तब से यहाँ लोगो की भीड़ बढ़नी शुरू हो गयी है जो इस सुरम्य शांत वातावरण के लिए ठीक नहीं है | स्वामी जी की चिंता भी सही है आवागमन का रास्ता ठीक होने के बाद यहाँ लोगो का पिकनिक के लिए आना जाना शुरू हो गया है और उनके द्वारा छोडे जाने वाला कचरा इस सुरम्य जगह के पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है |


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8टिप्पणियाँ

  1. ख़ूबसूरत तस्वीरों के साथ आपने बहुत ही सुंदर रूप से प्रस्तुत किया है! बहुत बढ़िया लगा! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!

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  2. बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, वेसे हम कही भी जाये गंद जरुर डालते है, ऎसा क्यो है, मंदिर ओर नदी के बारे जानकर बहुत अच्छा लगा. आप का धन्यवाद
    आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.

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  3. अच्छी जानकारी
    हैपी दशहरा.. हैपी ब्लॉगिंग

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  4. चलिए जी इस बार फरीदाबाद गए तो यहाँ जरुर जाऐगे जी। और हाँ आपके रंगो का बेसर्बी से इंतजार हो रहा है।

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  5. हम तो अभी तक फरीदाबाद को केवल औधोगिक नगरी ही समझ रहे थे ।

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  6. आज से १८ साल पहले छुपकर जाते थे बडखल झील , बहुत सी यादे है वहां पर .

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  7. में तो स्कूल से बंक मार कर गया था परसोन मंदिर और बड़खल झील
    सच्च में बहुत ही अच्छा स्थान ह

    उधर ही पहाड़ियों में गोपाल गोशाला ह और स्वामी अड़गड़ानंद जी का आश्रम ह एवं सिद्धाता आश्रम ह सब जगह घुमा हुवा ह बहुत ही मनोरम स्थल ह

    में 2004 और 5 में गया था

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