एक आदर्श शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली |

Gyan Darpan
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शहरी सार्वजनिक यातायात प्रणाली सम्बंधित शहर की जीवन रेखा होती है | हर व्यक्ति के पास अपना स्वयम का आवागमन का साधन होना संभव नहीं होता | और सभी अपने साधन का ही प्रयोग करने लगे तो सडको की क्या हालत हो जायेगी इसका उदहारण आप दिल्ली जैसे शहर में अवश्य देखते होंगे | भीड़ के साथ प्रदूषण की समस्या भी विकराल रूप ले लेगी | इसीलिय हर शहर में एक आदर्श सार्वजनिक परिवहन प्रणाली होनी चाहिए | ताकि सडको पर भीड़ व प्रदूषण कम रहे | बोम्बे ,कलकत्ता. दिल्ली की मेट्रो ट्रेन व सभी शहरों में चलने वाली बसों द्वारा इस सेवा को सुचारू रूप से चलाने की जद्दोजेहत करते आप अक्सर देखते होंगे व इनमे मिलने वाली खामिया और बसों के स्टाफ का ख़राब व्यवहार भी भुगतते रहते होंगे | मेरा भी अक्सर कई शहरों में जाना होत्ता है और कई तरह की अच्छी और बुरी परिवहन प्रणाली से वास्ता पड़ता है हालाँकि मै सार्वजनिक प्रणाली का इस्तेमाल करने को बाध्य नहीं हूँ फिर भी किसी शहर व शहर वासियों को नजदीक से समझने का मौका इसमें जरुर मिलता है

यहाँ कुछ शहरों की सार्वजनिक प्रणालीके बारे में जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूँ |
फरीदाबाद- सबसे पहले में फरीदाबाद की सार्वजनिक प्रणाली का जिक्र करना चाहूँगा क्योकि मै इसी शहर में ही रहता हूँ और मज़बूरी में ही कभी-कभी यहाँ की इस सेवा का इस्तेमाल करता हूँ क्योकि मुझे यहाँ की ये सुविधा दुनिया की सबसे ख़राब सुविधा लगती है , कुछ मुख्य-मुख्य मार्गो पर डीजल के ऑटो चलते है और एक ऑटो में जिसमे दो आदमियों के बैठने की जगह होती है उसमे आप आराम से १२ से १३ आदमी सवारी करते देख सकते है | खचाखच सवारियों से भरे काले धुंए का गुब्बार छोड़ते ये ऑटो अक्सर दुर्घटनाओ को न्योता बाँट रहे होते है | इनके साथ ही कुछ मिनी बसे भी चलती है लेकिन उनकी मर्जी का तो जबाब भी नहीं एक ही जगह चार पञ्च बसे थोड़ी-थोड़ी सवरियां लेकर खड़ी हो जयेगी,धू-धूं कर तेल फ़ूँकती रहेगी लेकिन चलेगी कब उनकी मर्जी |
सुरत - यहां मुझे बस का उपयोग करने की तो जरुरत नही पड़ी, लेकिन यहां चलने वाले औटो जिन्हे शट्ल कहते है की सुविधा भी बहुत अच्छी है कभी यहां कोई दिक्कत महसूस नही हुयी |ये ज्यादा सवारिया भी नही ढोते और किफ़ायती भी है|
अमरतसर-- यहां भी औटो,साईकिल रिक्शा व बसो की भी अच्छी सुविधा है
जोधपुर-- जोधपुर तो मेरा अक्सर जाना लगा रहता है और यहां मेरे लिये साधनो की कोई कमी नही है फ़िर भी मै यहां सिटी बस का ही ज्यादा इस्तेमाल करता हुं | मै ही नही अब तो कई विदेसी प्रर्यट्क भी इन्ही सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का इस्तेमाल करते है | जोधपुर मे दो तरह की परिवहन व्यवस्था है एक प्राईवेट बसे है जिन्की अपनी एशोसियन है जो बसो को चलाने मे पुरा अनुशासन का ध्यान रखती है हर बस स्टेन्ड पर एशोसियन का एक कारिन्दा मौजुद रहता है जो किसी भी बस के एक मिनट तो क्या कुछ सैकेन्ड देरी से आने पर दन्ड की पर्ची काट्कर बस चालक को पकड़ा देता है | यही कारण है कि जोधपुर की सिटी बस वाले समय के पुरे पाबन्द होते है ,और हर दस या पांच मिनट बाद बस सेवा उबलब्ध रहती है और यह बस सेवा इतनी अच्छी है कि जोधपुर के किसी कोने मे जाना हो यह सुविधा तैयार मिलती है |
दुसरी और सरकार के साथ एक को-ओपरेटिव सन्सथा ने भी शहर मे सिटी बसे चलाई है ये बसे बड़ी और आरामदयाक तो है ही इसमे पब्लिक फ़ोन की सुविधा भी है |लेकिन ये बसे बड़ी होने और प्राईवेट सिटी बस चालको के विरोध के चलते शहर मे न चल कर जोधपुर की बाहरी सड़को पर बड़ी दुरी के लिये चलती है जो शहर वासियों के लिये एक सौगात से कम नही है |
फ़रीदाबाद की सड़को पर चलते ओटो और बसो को देखता हुं तो बरबस ही जोधपुर की परिवहन प्रणाली याद आ जाती है काश ये यहां के बस आपरेटर भी इनसे प्ररेरणा लेकर सेवा मे सुधार करे और अनुशासन से चलते रहे यात्रियों का भला होने के साथ बस मालिको की कमाई के साथ ड्राईवरो आदि को भी रोजगार मिलता रहेगा | अच्छी परिवहन प्रणाली होने से
लोग अपने खुद के साधनो का प्रयोग कम कर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे जिससे सड्को पर भी भीड़ कुछ कम होगी | एक आदर्श परिवहन प्रणाली शहर में वाहनों की भीड़ तो कम करती है साथ ही सडको पर कम वाहन होने से प्रदूषण पर भी नियंत्रण बना रह कर पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहायता मिलती है |

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10टिप्पणियाँ

  1. एक साफ सुथरी और तत्पर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली आवश्यक है। वरना सड़कें वाहनों से भर जाएंगी, उन का चलना भी कठिन और वातावरण कार्बन डाई ऑक्साइड से भरी होंगी आप का सांस लेना कठिन।

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  2. आपने बहुत उपयोगी और सकारात्मक चिंतन व्यक्त किया है. धन्यवाद.

    रामराम.

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  3. भारत की सार्वजानिक यातायात प्रणालियों में यह सोचा ही नहीं जाता कि उनके उपभोक्ता कौन होने चाहिए. जैसे:- दिल्ली में मेट्रो रेल चलाई किसके लिए, पता नहीं. बस की सवारियां उसमें जाने लगीं. लेकिन बसें भी उतनी ही चल रहीं हैं जितनी पहले थीं.. अब सरकार चाहती है कि कारों और स्कूटरों वाले भी उसमें चलें, (अपनी सवारी का सुख छोड़कर ?). इसलिए, कार-स्कूटर भी वैसे ही चल रहे हैं....पहले, कार-स्कूटर वालों को मेट्रो में चढ़ाने की नीति तो बनाओ भाई.

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  4. कुछ राज्य हैं जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, और कुछ हद तक मध्य प्रदेश भी जहाँ जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत लागू होती है. इन जगहों में कोई भी व्यवस्था सुचारू तो हो ही नहीं सकती.

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  5. आपके बताये अनुसार जोधपुर जैसी सार्वजनिक यातायात व्यवस्था की कामना ही कर सकते हैं. वैसे यातायात व्यवस्था सुधारने में बहुत कुछ यातायात पुलिस का भी हाथ रहता है.

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  6. आपकी चिन्ता सही है जब गांव का आदमी कस्बे मे ही जाता है तो मारे प्रदूषण के उसकी हालत खराब हो जाती है । बड़े शहरों मे तो और भी ज्यादा खराब हालत है । मेरा बहुत ज्यादा शहरों मे तो जाना नही हुआ है लेकिन सूरत मे मै कई साल रहा हू वहा कि यातायात प्रणाली बहुत बढ़िया तो नही है लेकिन अन्य शहरो के मुकाबले ठीक है ।

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  7. जोधपुर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के बारे में जानकार प्रसन्‍नता हुई। ईश्‍वर उसका भारतीयकरण होने से बचाए, एसे 'जोधपुरी' ही बने रहने दे।
    इस प्रणाली को कामयाब बना रहे जोधपुर के लोगों को सलाम

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  8. पहले तो मै आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी !
    बहुत बढिया!! इसी तरह से लिखते रहिए !

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