देवताओं की साल व वीरों का दालान (मंडोर-जोधपुर)

Gyan Darpan
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मंडोर जोधपुर से 9km दूर उत्तर दिशा में स्थित है, मंडोर पुराने समय में मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करती थी | अब मंडोर में एक सुन्दर बगीचा बना हुआ है और इस बगीचे में देवताओं की साल व वीरों का दालान, अजीत पोल, एक थम्बा महल ,संग्राहलय,विभिन्न राजा महाराजाओं की छतरियां व देवल (स्मारक) बने हुए है जो स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने है इसके अलावा भी यहाँ नागादड़ी व पंच्कुंडा में बनी छतरियां भी देखने योग्य है आज के इस लेख में मै सिर्फ देवताओं व वीरों की साल की ही चर्चा करने जा रहा हूँ बाकि जानकारी अगले किसी लेख में |
मंडोर बगीचे में अजीत पोल से प्रवेश करते ही एक लम्बा बरामदा दिखाई पड़ता है इसे ही देवताओं की साल व वीरों का दालान कहा जाता है | इस बरामदे में विभिन्न देवताओं व विभिन्न स्थानीय वीरों की विशालकाय प्रतिमाओं का समूह बना है, सभी प्रतिमाएं एक ही समूची चट्टान में उत्कीर्ण की गई है जो जन समुदाय की पूजा अर्चना व श्रद्धा का केंद्र है | ये शिलात्किर्ण इस बात का परिचायिक है कि मारवाड़ राज्य में कला की परम्परा 18 वी. सदी में भी पर्याप्त उन्मावस्था में विधमान थी | इस साल में वीरों का दालान का निर्माण कार्य जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह जी (1707-1724) के शासन काल में हुआ था जबकि देवताओं वाले संभाग का निर्माण उनके पुत्र महाराजा अभय सिंह जी (1724-1786) के शासन काल में पूर्ण हुआ था |
इस शिलाखंड में उत्कीर्ण प्रत्येक मूर्ति लगभग 10 फीट ऊँची है तथा चुने का प्लास्टर करके सजाई गई है | जिनकी संख्या 16 है इसके साथ ही एक सुन्दर मंदिर तथा एक पानी की बावडी बनी हुई है |

देवताओ की इस साल में स्थित मूर्तियाँ निम्न है --
१- चामुंडा जी - जोधपुर राजपरिवार की इष्ट देवी |
२- कंकाली जी- नर कंकालों की माला पहनने वाली देवी |
३- गुंसाई जी -- प्रसिद्ध कृष्ण भक्त (बाड़मेर)
४- मल्लिनाथ जी - मारवाड़ के प्रसिद्ध लोक देवता और मालानी राज्य के संस्थापक |
५- पाबू जी - राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता जिन्होंने गायों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी |
६- बाबा रामदेव- राजस्थान ही नहीं पुरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध लोक देवता और पीर जो तंवर वंशी राजपूत और पोकरण के शासक थे इनका प्रसिद्ध स्थान रामदेवरा पोकरण के पास है जहाँ सभी धर्मो के लोग मन्नते मांगने आते है सितम्बर में रामदेवरा में बहुत बड़ा मेला लगता है जहाँ पैर रखने तक की जगह नहीं होती |
७-हड्बू जी- ये भी मारवाड़ के लोकदेवताओं में गिने जाते है जो राव जोधा के समकालीन थे |
८- जाम्भो जी - ये लोक देवता बीकानेर के हरसुर गांव के निवासी पंवार राजपूत थे इन्होने ही पर्यावरण की रक्षा करने वाली विश्नोई जाति का धर्म चलाया था विश्नोई जाति के ये अराध्य देव है |
९- मेहा जी - ये लोकदेवता मारवाड़ के ही इसरू गांव के जागीरदार थे |
१०- गोगा जी - राजस्थान के पॉँच पीरों में शामिल ये प्रसिद्ध लोकदेवता है जिनकी मान्यता देश में दूर-दूर तक फैली है | गोगा जी ई. सन.१२९६ में फिरोजशाह से युद्ध करते हुए देवलोक हुए थे |
११- ब्रह्मा जी १२- सूर्य देव १३- भगवान राम १४- श्री कृष्ण १५ महादेव शिव १६- गुरु जन्धर नाथ जी |

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14टिप्पणियाँ

  1. यह जानकारी तो एकदम नयी रही. आभार.

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  2. बहुत बार यहाँ जाना हुआ है, जानकारी के लिए आभार.

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  3. अरे ये तो अपनी जगह है.. रामदेवरा तो तीन साल तक जोधपुर से पैदल जाना भी हुआ था..

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  4. बहुत अच्छी जानकारी है यह ..इसके बारे में आपकी पोस्ट से पता चला शुक्रिया

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  5. मेरा तो बचपन बी्ता है.. मण्डोर आज भी जोधपुर का लोकप्रिय पिकनिक स्पोट है..अच्छा लिखा आपने..

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  6. बहुत ही सुंदर जानकारी दी आप ने,
    धन्यवाद

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  7. अच्‍छी और रोचक जानकारी है। ऐसे आलेख यात्राओं के लिए प्रेरित करते हैं।

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  8. बहुत अच्छी जानकारी लगी। यदि इन चित्रो को ओर्कुट या अन्य फोटो अपलोडर साइट पर लगा दे व लिन्क ब्लोग पर दे तो सोने पर सुहागा हो जायेगा क्यों कि यात्रा के सभी चित्र आप अपने ब्लोग पर इस्तेमाल नही कर पाते है । और हम देखने से वंचित रह जाते है ।

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  9. बहुत बढिया जानकारी दी आपने. आभार आपका.

    रामराम.

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  10. अच्छी जानकारी , अगली कड़ी का इंतजार ..

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  11. Aapke dwara di gai sari jankari bahut hi amulya hai ye desh heet or manav heet ke liye amulya hai kripya jyada se jyada jankari site pe dale or Alaha or Udal ke baare main bhi batai
    Dhanyabad Rajesh Kumar

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  12. Isme kuchh naya sikhne ko mila hai
    aapka bahut bahut aabhar

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  13. ऎसी जानकारी देने के लिए आपका आभार

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