फेल होने वाले छात्रों का क्या दोष ?

Gyan Darpan
18
यदि कोई छात्र परीक्षा में फेल होता है तो उसमे उसका क्या दोष ? आख़िर साल में 365 दिन ही तो होते है जो एक शैक्षणिक सत्र के लिए कितने कम होते है? यदि आपको कम नही लगते तो पढ़िये कि कैसे एक छात्र को पढने के लिए तो समय ही नही मिल पाता ?

1- रविवार :- एक साल में 52 तो रविवार ही हो जाते है और आप जानते है रविवार को आराम करने के लिए छुट्टी होती है न कि पढने के लिए| अब बचे 313 दिन

2- ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ :- ये भी एक सत्र में लगभग 50 हो जाती है और आप समझ सकते है कि इतने गर्म मौसम में छात्र कैसे पढ़ सकते है?? अब बचे 263 दिन

3- आठ घंटे छात्रों को रोज अच्छे स्वास्थ्य के लिए सोने को चाहिय मतलब 130 दिन| अब बचे 141 दिन

4- एक घंटा छात्रों को अच्छी सेहत के लिए आख़िर खेलने को भी चाहिय मतलब साल में 15 दिन| अब बचे 126 दिन

5- दो घंटे रोज बच्चों को खाना खाने और उसे सही तरीके से चबाकर पचाने के लिए भी चाहिए मतलब साल में 30 दिन| अब बचे 96 दिन

6- आदमी आख़िर सामाजिक प्राणी है अतः उसे एक घंटा रोजाना आपसी बातचीत के लिए चाहिए यानी वर्ष में 15 दिन| बचे 81 दिन

7- वर्षभर में परीक्षाओं में भी छात्रों के 35 दिन खर्च हो जाते है ! अब बचे 46 दिन

8- साल भर में त्योंहारों व अन्य कार्यकर्मों की छुटियाँ जोडें तो लगभग 40 दिन| अब बचे 6 दिन

9- आखिर तीन दिन साल में कोई छात्र बीमार भी तो पड़ेगा तब पढेगा कैसे| अब बचे 3 दिन

10- अरे भाई सिनेमा या अन्य सांस्कृतिक समारोह के लिए भी तो ज्यादा नही तो साल में दो दिन तो दोगे या नही| अब बचा एक दिन

11- अब साल में एक दिन जन्म दिन भी तो आता है अब उस दिन छात्र अपना जन्म दिन भी तो मनायेगा, दोस्तों को पार्टी भी देगा तो उस दिन पढेगा कैसे ?

अब बचा 0 दिन पढाई के लिए !!
अब आप ही बताये बेचारे फेल होने छात्र का क्या कसूर ?

एक टिप्पणी भेजें

18टिप्पणियाँ

  1. आपका यह गडित अगर पहले पता चल जाता तो फैल होने पर मार तो नही पड़ती .

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. अब गणित पता चल गई है बच्चो को फेल होने पर कुछ नही कहेंगे !

    जवाब देंहटाएं
  4. अब गणित पता चल गई है बच्चों को हम भी कुछ न बोलेंगे !

    जवाब देंहटाएं
  5. आपके जैसा गणित हमारे जमाने मे बताने वाला कोई नही था ! हम तो ३६५ दिन कुटते थे ! छुट्टी वाले दिन मास्टर जी को कहीं दिख गये तो दो चार सन्टी पड ही जाती थी ! सो आप ये समझ लो कि हमारा स्कूळ (पिटने का) तो ३६५ दिन बिना छुट्टी के लगा ही रहता था !

    रामराम !

    जवाब देंहटाएं
  6. पोथी पढि- पढि जग मुआ पंडित भया ना कोय , खेल खेल मैदान में महान सितारा होय । आप भी कहां गणित का चक्कर ले बैठे । गोलमा देवी ने कब रखा छुट्टियों का हिसाब ...। लेकिन अब बडे बडॆ अफ़सरों की छुट्टी का हिसाब रखेंगी वो ....।

    जवाब देंहटाएं
  7. शेखावत जी,
    बिल्कुल सही फर्माया, पर गरीबों की सुनता ही कौन है।

    जवाब देंहटाएं
  8. एक दिन रिस्लट भी तो आता है.. दिन कम पड़ गये..:) बेचारे बच्चे..

    जवाब देंहटाएं
  9. तभी तो आज का बच्चा रिपोर्ट दिखाने के पहले बाप को सेंटरफ्रेश देता है:)

    जवाब देंहटाएं
  10. सचमुच , फेल होने वाले बच्‍चों का कोई दोष नहीं है ....अब तक आपके दृष्टिकोण से किसी ने नहीं सोंचा और फेल होनेवाले बच्‍चे मार खाते रहें।

    जवाब देंहटाएं
  11. शेखावत जी . आपने ठीक ही कहा . फेल होने में छात्रों का कोई दोष नहीं होता .

    जवाब देंहटाएं
  12. यह आपके समय कि बात है, आजकल तो बच्चे फैल् होते ही नही है सरकार कि मेहरबानी से भविष्य मे भी कोइ फैल नही होगा ।

    जवाब देंहटाएं
  13. फेल होने वाले छात्रों को सांत्वना देने के लिए आइडिया अच्छा है।

    जवाब देंहटाएं
  14. phel hone wale bachche mata pita ko, phel hone ka achcha bahana de sakte hai

    जवाब देंहटाएं
  15. अछी बात लिखी है पर आज कल बच्चे फेल ही नहीं होते है क्यों की केंद्र सरकार ने नया कानून जो बना दिया ही चाहे बच्चा ३६५ दिन ही स्कूल ना जाये उसको तो पास करना ज़रूरी है ! तो आप की कविता की सार्थकता कम हो जाती है इस केंद्र सरकार के आगे ? ८ वी तक तो कोई फेल नहीं कर सकते !

    जवाब देंहटाएं
  16. JO STUDENT FALE HOKAR SUICIDE KAR LATE HAI KAAAS WO EK BAAR ES LEKH KO PADH LATE TO UNKI JAAN BACH JAATI

    जवाब देंहटाएं
एक टिप्पणी भेजें