धरती का बीच(सेंटर पॉइंट)

Gyan Darpan
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गांव के चौपाल पर हथाई (बातें करने वालों की भीड़) जुटी हुई थी इन हथाइयों में गांववासी हर मसले पर अपने हिसाब से चर्चा करते रहते है |राजनीती,विज्ञान,खेतीबाड़ी,मौसम,धर्म,अर्थव्यवस्था और विदेश नीति तक पर बड़े मजेदार और चुटीली भाषा में चर्चाएँ होती सुनी जा सकती है| इन चर्चाओं में कई मुद्दों पर ताउओं की सीधी साधी व्याख्या और टिप्पणियाँ सुनकर बड़ा मजा आता है|

ऐसी एक हथाई में चौपाल पर गांव के पंडित जी जो काशी पढ़कर आए थे ज्योतिष और भूगोल पर अपना ज्ञान बघारते हुए भूमध्य रेखा आदि के बारे में व्याख्यान दे रहे थे कि बीच में ही एक ताऊनुमा आदमी पूछ बैठा कि धरती का बीच (सेंटर पॉइंट) कहाँ है अब बेचारे पंडितजी क्या जबाब दे उनके किसी भी उत्तर से कोई सहमत नही दिखा और बहस बढती गई किसी ने कहीं बताई तो किसी ने कहीं | आपसी बहस चल ही रही थी कि अपना ताऊ हाथ में लट्ठ लिए आता दिखाई दिया चूँकि गांव में लोग ताऊ को ज्यादा ही ज्ञानी समझते थे और समझे भी क्यों नही, ताऊ के तर्कों के आगे अच्छों अच्छों की बोलती बंद हो जाती है | सो ताऊ के चौपाल पर पहुचते ही लोगों ने प्रश्न किया कि ताऊ धरती का बीच कहाँ है?
ताऊ ठहरा हाजिर जबाब सो अपना लट्ठ वहीं रेत में गाड कर बोला -" ये रहा धरती का बीच" किसी को कोई शक हो तो नाप कर देख लो |

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10टिप्पणियाँ

  1. जहाँ कील ठोक कर गेंद घुमा दो वही सेंटर।

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  2. वकील साब भी ताऊ की लाईन पर चल रहे आज-कल्।

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  3. मज़ा आ गया ताऊ के बात में दम रहता है.

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  4. भाई शेखावत जी काश ये ताऊओं की चौपाले वापस जिन्दा हो जायें तो लोग शान्ति से जीना सीख जाये वापस !

    आज जितना आतन्ख्वाद और ऊठाईगिरी हो रही है उसके पीछे इन्ही चौपालों का अभाव है ! आदमि फ़ोकट परेशान है !

    बहुत बढिया लिखा आपने !

    रामराम !

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  5. ताऊ कि केवल ताई के सामने नहीं चलती है । बाकी हर जगह ताऊवाद है ।

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  6. ताऊ ऐसे ई ताऊ नेई एं ,पूरे पक्के ताऊ एं उने किया निरे ता ऊ या बछिया के तौऊ समझ लिए

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  7. अपने गाँव में गर्मी की छुट्टियों में जब हम नीम की छाँव में खेलते थे, तो गाँव के ताऊ-दादा नुमा बुजुर्ग, हमारे शोर-शरारतों से परेशान होकर यही कहते हुए हमें वहां से भगा देते थे कि--- "ये धरती का बीच है.??" हा हा हा...
    धन्यवाद सा... आपने बचपन की यादें ताजा कर दी...

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